सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन म�
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन म�